Imran Pratapgarhi’s poetic journey echoes his commitment to justice and unity. Known for powerful nazms and ghazals, he captivates audiences across India with verses that highlight social issues and give voice to the marginalized. His poetry not only challenges injustice but also inspires hope and solidarity, using words as a platform for change.
“ राह में ख़तरे भी हैं, लेकिन ठहरता कौन है, मौत कल आती है, आज आ जाये डरता कौन है ! तेरी लश्कर के मुक़ाबिल मैं अकेला हूँ मगर, फ़ैसला मैदान में होगा कि मरता कौन है !! ”
“ ये ताजमहल ये लालकिला, ये जितनी भी तामीरें हैं, जिन पर इतराते फिरते हो, सब पुरखों की जागीरें हैं!! जब माँगा वतन ने खून, बदन का सारा लहू निचोड़ दिया, अफ़सोस मगर इतिहास ने ये, किस मोड़ पे लाके छोड़ दिया !! ”
“ जो सच और झूठ में दूरी है वो दूरी समझते हैं, सियासी हाकिमों की हम भी मजबूरी समझते हैं, वो अपना हक़ समझते हैं निवाला छीन लेने को, डकैती को बहुत से लोग मजदूरी समझते हैं... ”
Mai Falasteen/Palestine Hun - फ़िलस्तीनियों के दर्द को बयान करती Imran Pratapgarhi की मशहूर नज़्म
नफरत फ़ैलाने वाले ज़रूर सुने | Imran Pratapgarhi | Mushaira | 2023 | Nazm | Shayari | Mushayra Media
Imran Pratapgarhi's Poetic Tribute to Lal Qila
मैं लाल क़िला हूँ - Nazm On Lal Qila By Imran Pratapgarhi || Aiwan -E- Ghalib Auditorium , New Delhi
Imran Pratapgarhi's Heartfelt Rendition:Lab Pe Aati Hai Dua Banke Tamanna Meri |Soul-Stirring Poetry